5 Essential Elements For Shodashi

Wiki Article



Oh Lord, the learn of universe. You are definitely the Everlasting. You tend to be the lord of many of the animals and many of the realms, that you are The bottom of your universe and worshipped by all, without you I'm nobody.

सर्वाशा-परि-पूरके परि-लसद्-देव्या पुरेश्या युतं

Matabari Temple is a sacred location in which men and women from unique religions and cultures Acquire and worship.

यहां पढ़ें त्रिपुरसुन्दरी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र संस्कृत में – tripura sundari ashtottarshatnam

The practice of Shodashi Sadhana can be a journey toward the two pleasure and moksha, reflecting the dual nature of her blessings.

ईड्याभिर्नव-विद्रुम-च्छवि-समाभिख्याभिरङ्गी-कृतं

षोडशी महाविद्या प्रत्येक प्रकार की मनोकामनाओं को पूर्ण करने में समर्थ हैं। मुख्यतः सुंदरता तथा यौवन से घनिष्ठ सम्बन्ध होने के परिणामस्वरूप मोहित कार्य और यौवन स्थाई रखने हेतु इनकी साधना अति उत्तम मानी जाती हैं। त्रिपुर सुंदरी महाविद्या संपत्ति, समृद्धि दात्री, “श्री शक्ति” के नाम से भी जानी जाती है। इन्हीं देवी की आराधना कर कमला नाम से विख्यात दसवीं महाविद्या धन, सुख तथा समृद्धि की देवी महालक्ष्मी है। षोडशी देवी का घनिष्ठ सम्बन्ध अलौकिक शक्तियों से हैं जोकि समस्त प्रकार की दिव्य, अलौकिक तंत्र तथा मंत्र शक्तियों की देवी अधिष्ठात्री मानी जाती हैं। तंत्रो में उल्लेखित मारण, मोहन, वशीकरण, उच्चाटन, स्तम्भन इत्यादि जादुई शक्ति षोडशी देवी की कृपा के बिना पूर्ण नहीं होती हैं।- षोडशी महाविद्या

लक्ष्या मूलत्रिकोणे गुरुवरकरुणालेशतः कामपीठे

हन्यादामूलमस्मत्कलुषभरमुमा भुक्तिमुक्तिप्रदात्री ॥१३॥

षोडशी महाविद्या : पढ़िये त्रिपुरसुंदरी स्तोत्र संस्कृत में – shodashi stotram

The noose represents attachment, click here the goad represents repulsion, the sugarcane bow signifies the mind and the arrows would be the five sense objects.

The Mahavidya Shodashi Mantra fosters psychological resilience, assisting devotees method everyday living using a relaxed and regular head. This benefit is efficacious for the people experiencing tension, because it nurtures internal peace and the chance to retain psychological harmony.

देवीं कुलकलोल्लोलप्रोल्लसन्तीं शिवां पराम् ॥१०॥

मन्त्रिण्या मेचकाङ्ग्या कुचभरनतया कोलमुख्या च सार्धं

Report this wiki page